Afghanistan Pakistan Water Dispute: भारत का Role

 Afghanistan Pakistan Water Dispute: बढ़ता तनाव और भारत की भूमिका

Afghanistan Pakistan Water Dispute river flow and strategic dams

South Asia पहले से ही कई Geopolitical बहसों का Subject रहा है, लेकिन अब एक और गंभीर Problem सामने आ रही है— Afghanistan Pakistan Water Dispute, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जल संसाधनों का विवाद विकास और स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।

पाकिस्तान को अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में जलाशयों और डैम्स की चिंता है। पाकिस्तान को डर है कि अफगानिस्तान भविष्य में अपने पानी के स्रोतों को सीमित कर सकता है, जिससे सिंधु घाटी के इलाकों में पानी की किल्लत बढ़ सकती है, खासकर हेमनैंड नदी और कुनर नदी।

पृष्ठभूमि और इतिहास

Afghanistan Pakistan Water Dispute का इतिहास कई दशक पुराना है। 1973 में, दोनों देशों ने हेलमंड नदी को लेकर एक पानी बाँटने का समझौता किया. इसमें पाकिस्तान को हर साल 850 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना था। लेकिन यह समझौता समय के साथ न तो पूरी तरह से लागू हो पाया और न ही वर्तमान जरूरतों के अनुसार बदल गया।

जबकि पाकिस्तान अब कुनर नदी और अन्य जल स्रोतों पर भी दावा कर रहा है, तो अफगानिस्तान का कहना है कि समझौता केवल हेमलैंड नदी तक सीमित था, अब मुख्य मुद्दा विवाद में है।

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अफगानिस्तान का रणनीतिक दृष्टिकोण

अफगानिस्तान, जो अब धीरे-धीरे विकसित हो रहा है, अपने जल संसाधनों को नियंत्रित करना चाहता है, ताकि वह उनका उपयोग बिजली उत्पादन, सिंचाई और औद्योगिक विकास में करे।

तालिबान सरकार ने हाल ही में स्पष्ट कर दिया है कि वह पड़ोसी देशों के दबाव में नहीं आएगी और जल संसाधनों पर अपने संप्रभु अधिकार का पालन करेगी।

इस दिशा में Afghanistan को आत्मनिर्भर बनाने के लिए Kajaki Dam और Kamal Khan Dam जैसे Project काम कर रहे हैं।

पाकिस्तान को डर है कि इन डैम्स के पूरा होने के बाद उसे पीने के पानी और सिंचाई के लिए बहुत कम पानी मिल सकता है।

Helmand और Kunar Rivers के पानी से बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा, इससे सीधे प्रभावित होंगे।

पाकिस्तान की चिंताएं

पाकिस्तान की समस्या सिर्फ पानी से नहीं जुड़ी है। अब यह कृषि, जनजीवन और देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

पाकिस्तान की लगभग 90% कृषि प्रणाली सिंचाई पर आधारित है, और पानी की कमी खाद्य संकट का कारण बन सकती है।

Khyber Pakhtunkhwa और Balochistan जैसे प्रांत पहले से ही जल संकट से गुजर रहे हैं, और Afghanistan Pakistan Water Dispute के कारण इन क्षेत्रों की स्थिति और खराब हो सकती है।

पाकिस्तान की सरकार और सेना को यह भी डर है कि भारत अफगानिस्तान को समर्थन देकर इस जल संकट को रणनीतिक रूप से इस्तेमाल कर सकता है।

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भारत की भूमिका

भारत की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, हालांकि वह इस विवाद में प्रत्यक्ष नहीं है।

भारत वर्षों से अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचागत और जलाशय परियोजनाओं में निवेश करता रहा है, जैसे शहतूत और सलमा जलाशय।

पाकिस्तान को डर है कि भारत इन जल परियोजनाओं के माध्यम से Afghanistan Pakistan Water Dispute को बढ़ावा दे सकता है।

भारत अफगानिस्तान में स्थिरता और विकास चाहता है, लेकिन पाकिस्तान इसे रणनीतिक घेराव समझता है।

भारत को भी यह अवसर मिलता है कि वह soft power diplomacy के जरिए अफगान जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण:

यह बहस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत चिंताजनक है।

UN, World Bank और अंतर्राष्ट्रीय जल कानून संस्थाओं ने बार-बार दोनों देशों से वार्ता करके समाधान निकालने की अपील की है।

लेकिन समस्या का हल और जटिल हो गया है क्योंकि वर्तमान राजनीतिक स्थिति अस्थिर है और पाकिस्तान के तालिबान सरकार के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं।

जल संघर्ष का भविष्य:

अगर Afghanistan Pakistan Water Dispute को कोई स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान नहीं मिलता, तो यह विवाद आने वाले वर्षों में एक "जल संघर्ष" बन सकता है।

पाकिस्तान को अफगानिस्तान में जल संसाधनों की बड़ी संभावना है, और अगर वह अपनी आवश्यकताओं के लिए योजनाएं बनाता है, तो उसे उचित रणनीति अपनानी होगी।

इसके लिए दोनों देशों के बीच एक नया, पारदर्शी और वैज्ञानिक जल सौदा आवश्यक है, जिसमें भारत, चीन और मध्य एशिया के अन्य देशों की भागीदारी भी शामिल हो सकती है।

समाधान के संभावित मार्ग

को सुलझाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं:

द्विपक्षीय वार्ता का पुनः आरंभ: दोनों देशों को द्विपक्षीय बातचीत बिना किसी भेदभाव के करनी चाहिए।

साझा जल प्रबंधन व्यवस्था जल संसाधनों का साझा और वैज्ञानिक प्रबंधन बनाया जाए।

भारत और उसके आसपास के देशों की मध्यस्थता— भारत या कोई निष्पक्ष देश मध्यस्थता कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय संघ (यूएन) की देखरेख में जल वितरण मॉडल, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और जल वितरण निष्पक्ष हो।

निष्कर्ष

Afghanistan Pakistan Water Dispute दक्षिण एशिया को एक बड़े जल संकट की चेतावनी है। यह बहस सिर्फ दो देशों के बीच नहीं होगी, बल्कि पूरे क्षेत्र पर भी पड़ेगी। ऐसे में, राजनीतिक मतभेदों को दूर करके जल संसाधनों का स्थायी और न्यायपूर्ण उपयोग करने के लिए आपसी सहयोग और भरोसा बनाना आवश्यक है।

भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को यह अवसर मिलता है कि वे सहयोग के नए रास्ते खोलें और क्षेत्र में शांति और समृद्धि कायम करें।

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